डोनाल्ड ट्रंप को टेंशन देने वालों की आज सज रही ‘महफिल’, अमेरिका चुपचाप देखेगा ’10 का दम’, क्या बनेगा प्लान?


Agency:एजेंसियां

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BRICS Summit: ब्रिक्स की वर्चुअल बैठक में ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी. ब्राजीली राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा की अगुवाई में भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका समेत 10 देशों के नेता शामिल होंगे. बैठक …और पढ़ें

ट्रंप को टेंशन देने वालों की सज रही 'महफिल', अमेरिका चुपचाप देखेगा '10 का दम'भारत से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने दुनियाभर में खलबली मची है. हालांकि इस ट्रंप टैरिफ की काट के लिए आज ब्रिक्स देशों की एक वर्चुअल बैठक होने जा रही है. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने यह बैठक बुलाई है, जिसमें भारत से विदेश मंत्री एस. जयशंकर हिस्सा लेंगे. इसके अलावा चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ हाल ही में जुड़े मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया के नेता भी शामिल होंगे. यानी अब ब्रिक्स के इस ‘10 देशों का दम’ अमेरिकी टैरिफ की काट निकालेगा.

ब्रिक्स देशों की इस वर्चुअल बैठक का मुख्य एजेंडा ट्रंप की टैरिफ नीतियों से दुनियाभर में उपजा कारोबारी संकट है. अमेरिका ने हाल ही में भारत और ब्राजील पर 50% तक का टैरिफ बोझ डाल दिया है. भारत को रूसी तेल खरीदने की वजह से 25% अतिरिक्त ड्यूटी झेलनी पड़ रही है, वहीं ब्राजील पर उसके पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ ट्रायल आगे बढ़ाने पर गाज गिरी है. नतीजतन, दोनों देशों की ऊर्जा और कृषि-उद्योग पर सीधा असर पड़ा है.

ब्रिक्स समिट में निकलेगी ट्रंप टैरिफ की काट!

ब्रिक्स के नेता इस बैठक में ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के खिलाफ एक साझा रणनीति बनाने की कोशिश करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स देशों को ‘एंटी-अमेरिकन’ कहकर उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. यही कारण है कि यह बैठक अमेरिकी नीति पर सीधा जवाब मानी जा रही है. हालांकि ब्राजील ने साफ किया है कि यह ‘एंटी-अमेरिका’ सम्मेलन नहीं है, बल्कि बहुसंस्कृतिवाद को मज़बूत करने और संरक्षणवाद से उबरने का रास्ता खोजने का मंच है.

भारत के लिए यह बैठक बेहद अहम है. रूसी तेल पर अतिरिक्त टैरिफ से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और घरेलू ईंधन कीमतों पर दबाव बढ़ा है. विदेश मंत्री जयशंकर की मौजूदगी भारत की सक्रिय भागीदारी का संदेश देती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भले ही बैठक से कोई बड़ा नीतिगत धमाका न हो, लेकिन इसकी अहमियत कम नहीं है. यह चर्चा दिखाएगी कि उभरती अर्थव्यवस्थाएं अब अमेरिकी दबाव को लेकर चुप नहीं बैठना चाहतीं. यह संदेश भी जा सकता है कि अमेरिका की टैरिफ राजनीति से विश्व व्यवस्था बदल रही है.

ट्रंप को किस बात की टेंशन?

ब्रिक्स देश दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी और 40% वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में अगर यह समूह डॉलर से अलग मुद्रा में व्यापार, या नए आर्थिक गठबंधन जैसी कोई ठोस रणनीति पर आगे बढ़ता है, तो इसका असर पूरी वैश्विक व्यवस्था पर पड़ेगा.

ट्रंप की नीतियों ने ब्रिक्स देशों को और करीब ला दिया है. खुद ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘अमेरिका ने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है.’ अमेरिकी रणनीतिक हलकों में इस बैठक पर कड़ी नज़र रखी जा रही है, क्योंकि यहां से निकलने वाला कोई भी संदेश अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे सकता है. सबकी नज़र इस पर है कि क्या यह ‘महफिल’ सिर्फ चर्चा तक सीमित रहेगी या फिर कोई ठोस प्लान सामने आएगा, जो वास्तव में वैश्विक व्यापार की दिशा बदल दे और ट्रंप को कड़ी ‘टेंशन’ दे.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T…और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T… और पढ़ें

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ट्रंप को टेंशन देने वालों की सज रही ‘महफिल’, अमेरिका चुपचाप देखेगा ’10 का दम’



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