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Risk Of Skin Disease After Rain : मानसून के बाद बढ़ती नमी और गंदगी के कारण लोगों की त्वचा पर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ गए हैं. खुजली, चकते और फोड़े-फुंसी ने खासकर बच्चों और बुजुर्गों में परेशानी बढ़ा दी है. डॉक्टरों का कहना है कि साफ-सफाई और समय पर इलाज से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.
अस्पताल की त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिव्या द्विवेदी बताती हैं कि इस मौसम में उमस और गंदा पानी त्वचा के लिए सबसे बड़ी समस्या बन जाता है. कई लोगों के हाथ-पैरों पर दाने निकल आते हैं, जिनमें से पानी सा रिसने लगता है, खुजली होती है और बाद में पपड़ी जम जाती है. बारिश या गंदे पानी के संपर्क में आने से यह परेशानी और बढ़ जाती है. इसी तरह उमस और पसीने की वजह से शरीर के उन हिस्सों पर भी दिक्कत बढ़ जाती है जहां नमी ज्यादा रहती है, जैसे बगल, कमर या पैर की उंगलियों के बीच. वहां गोल निशान और चकते बनने लगते हैं. इसके साथ ही बैक्टीरिया का असर भी तेज हो जाता है. कई मरीजों को फोड़े-फुंसी की शिकायत होती है, खासकर छोटे बच्चों में यह इंफेक्शन एक से दूसरे में फैलने की संभावना भी बढ़ा देता है. अगर समय रहते दवा न ली जाए तो ये फोड़े गहरे घाव का रूप ले सकते हैं.
डॉ. द्विवेदी का कहना है कि इस मौसम में लोग अक्सर साबुन का इस्तेमाल कम कर देते हैं, जो बिल्कुल गलत है. बरसात में शरीर को साफ रखना सबसे जरूरी है. साधारण साबुन से दिन में कम से कम दो बार नहाना चाहिए. अगर बारिश में भीग जाएं या गंदे पानी से होकर गुजरना पड़े तो तुरंत घर आकर नहाना जरूरी है. नहाने के बाद मॉइश्चराइजिंग क्रीम लगाने से त्वचा सुरक्षित रहती है और संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.
खुद न करें अपना इलाज
अगर खुजली, चकते, दाने या फोड़े-फुंसी जैसी समस्या हो तो इसे हल्के में न लें.सिर्फ दवाई लगाने से फायदा नहीं होता, कई बार दवा खाना भी जरूरी होता है. ऐसे में खुद से इलाज करने के बजाय तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. समय पर इलाज मिलने पर ये बीमारियां 5-7 दिन में ठीक हो जाती हैं. बरसात राहत जरूर लाती है, लेकिन इसके बाद गंदा पानी और उमस सेहत के लिए बड़ी मुसीबत बन जाते हैं.साफ-सफाई और सतर्कता ही इन त्वचा बीमारियों से बचाव का सबसे आसान उपाय है.