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इस बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी. इस दिन 100 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहे हैं. अमृत सिद्धि योग समेत पांच दुर्लभ योग रहेंगे. देवघर के ज्योतिषी नंद किशोर मुद्गल ने पूजा का शुभ मुहूर्त बताया है. इस दौ…और पढ़ें
देवघर: सृष्टि के पहले शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा हर साल तब की जाती है. जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उन्होंने रावण की सोने की लंका से लेकर भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी तक का निर्माण किया. इसीलिए लोहा, औजारों और मशीनों को विश्वकर्मा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है. जिससे वे प्रसन्न होते हैं और कारोबार में सफलता मिलती है.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने बताया कि इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी. यह पर्व विशेष रूप से झारखंड, बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्त अपने वाहन, औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं, जिससे उनके कारोबार में निरंतर वृद्धि होती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंडित मुद्गल के अनुसार, ऋषिकेश पंचांग के मुताबिक, 17 सितंबर को सुबह 08 बजकर 12 मिनट के बाद सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसके बाद ही पूजा शुरू की जा सकती है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा.
इस साल बन रहा है अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग बन रहा है. 100 सालों बाद इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शिवयोग और एकादशी का संयोग बन रहा है, जो पूजा के महत्व को और भी बढ़ा रहा है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग बन रहा है. 100 सालों बाद इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शिवयोग और एकादशी का संयोग बन रहा है, जो पूजा के महत्व को और भी बढ़ा रहा है.
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