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Farming Tips: पलामू के बसना गांव के एक किसान ने बड़ा ही कारगर कीटनाशक तैयार किया है. खास बात यह है कि इसमें कोई पैसे खर्च नहीं हुए हैं. इसके लिए उन्होंने गोमूत्र में एक निश्चित अनुपात में बस पानी मिलाते हैं. फि…और पढ़ें
दरअसल, झारखंड के पलामू जिले के बसना गांव के किसान सतीश दुबे ने खेती में एक अनोखा और सस्ता प्रयोग करके सबका ध्यान खींचा है. उन्होंने अपने फार्म में पाली गई गिर गाय के मूत्र से एक ऐसा प्राकृतिक कीटनाशक तैयार किया है. जिससे पौधों पर लगने वाले कीटों का प्रकोप 48 घंटे के भीतर समाप्त हो जाता है. यह तरीका न केवल रासायनिक कीटनाशकों का विकल्प है, बल्कि पूरी तरह जैविक और सुरक्षित भी है.
सतीश दुबे ने लोकल18 को बताया कि इसके लिए 1 लीटर गोमूत्र में 7 से 8 लीटर पानी मिलाया जाता है. यही घोल कीटनाशक का काम करता है. इस मिश्रण को पौधों की पत्तियों और तनों पर स्प्रे करने से कीट भाग जाते हैं और 48 घंटे में खत्म हो जाते हैं. पिछले चार सालों से वह इस नुस्खे का इस्तेमाल कर रहे हैं और अब तक उन्हें केवल लाभ ही मिला है. सभी तरह के फसल में कीड़े के प्रकोप होने पर वो इसी तरकीब को अपनाते है.
कहां-कहां उपयोगी है यह घोल?
उन्होंने कहा कि यह घोल हॉर्टिकल्चर, एग्रीकल्चर और बागवानी में इस्तेमाल किया जा सकता है. चाहे सब्जी की खेती हो, फलदार पेड़ हों या अन्य फसलें. इस प्राकृतिक कीटनाशक का असर हर जगह देखा गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल पर कोई रासायनिक अवशेष नहीं रह जाता.
आज के समय में जब किसान महंगे रासायनिक कीटनाशकों पर हजारों रुपये खर्च कर देते हैं, ऐसे में यह घरेलू नुस्खा बेहद सस्ता और प्रभावी है. सतीश दुबे कहते हैं, “गौमूत्र तो हर किसान के पास आसानी से उपलब्ध होता है, बस सही तरीके से उपयोग करना आना चाहिए.”
रासायनिक कीटनाशकों से छुटकारा
रासायनिक दवाओं से जहां फसल और मिट्टी को नुकसान पहुंचता है, वहीं यह जैविक तरीका खेती को न केवल सुरक्षित बनाता है बल्कि लागत भी काफी कम करता है. सतीश दुबे का यह प्रयोग आज जिले के कई किसानों के लिए प्रेरणा बन गया है.