हिंदू धर्म में शास्त्रों में हवन के समयखास तरह के मंत्र ही पढ़े जाते हैं. उन्हें सुशिक्षित ब्राह्मण ही पढ़ सकता है और वह भी उन्हें पढ़ते समय में उनमें बदलाव नहीं कर सकता. ये मंत्र हजारों सालों से बोले जा रहे हैं और इनमें कभी बदलाव नहीं किया जाता है. बावजूद इसके के आज के समय में संस्कृत व्यापक तौर पर समझी नहीं जाती है. मंत्रों में समझौता नहीं किया जाता है. हां, मंत्रों के अर्थ बताने के तरीके अलग अलग हो सकते हैं और होते भी है. लेकिन एक फनी वीडियो में बताया गया है कि अगर किसी बनिया को अपने हिसाब से मंत्र पढ़ने को कहा जाए तो वह कैसे मंत्र पढ़ेगा?
क्या कहा हवन करते करते?
वीडियो में हम देखते हैं कि एक शख्स हवन कर रहा है और मंत्रों की जगह हिंदी में कुछ और ही बोल रहा है. वह इसतरह से मंत्र बोलता है.
“दुनिया खाए दही भल्ला,
हमेशा भरा रहे मेरा गल्ला, बोलो स्वाहा.
बाबा ने बनाए हमारे सारे काम,
हर महीने जाओ खाटू श्याम, बोलो स्वाहा.
दिन दोगुनी रात चौगुनी करूं तरक्की,
पूरे दिन गिनूं 500 को नोटों की गड्डी, बोलो स्वाहा,
हेटर्स के मुंह से निकलती है ज्वाला,
जब लोग मुझे बलाएं लाला, बोलो स्वाहा.
आपका सच्चा रहे ईमान,
ग्राहकों से भरी रहे मेरी दुकान, बोलो स्वाहा.
मुंबई में खाते हैं लोग पैटीज़ रगड़ा,
हमारा कभी किसी ने ना हो झगड़ा बोलो स्वाहा.
दुनिया ने दिया है बनियों को लाला का ताज
मेरे पास आता रहे हर महीने भर भर के ब्याज, बोलो स्वाहा.
तुमसे दूर जाने की कर लूं मैं कितनी भी तैयारी,
मुझे अपने पास बुलाते रहना मेरे बांके बिहारी, बोलो स्वाहा.
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