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UP News: यूपी में आवारा कुत्तों को कैसे खिला सकेंगे खाना.. योगी सरकार ने ला दिया नया कानून, बेहतर मैनेजमेंट के लिए मिलेगा इनाम


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UP News: योगी सरकार ने यूपी में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए नया परिपत्र जारी किया है. इसमें फीडिंग जोन, नसबंदी, टीकाकरण और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया गया है. नीति का उद्देश्य मानव-पशु संघर्ष को कम करना औ…और पढ़ें

यूपी में आवारा कुत्तों को कैसे खिला सकेंगे खाना.. योगी सरकार का नया कानूनLucknow News: CM योगी योगी आदित्यनाथ ने आवारा कुत्तों को लेकर जारी की नई गाइडलाइन

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शहरी क्षेत्रों में बढ़ते मानव-पशु संघर्ष, विशेष रूप से आवारा कुत्तों से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए एक नया परिपत्र जारी किया है. यह परिपत्र नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश देता है. इसमें संरचित फीडिंग जोन, विवाद निस्तारण तंत्र, सतत नसबंदी कार्यक्रम और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया गया है. यह कदम न केवल जन सुरक्षा, खासकर बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि पशु कल्याण नियमों के तहत मानवीय दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देता है. लेकिन क्या यह नीति वास्तव में समस्या का समाधान कर पाएगी, या यह केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगी? आइए, इस नीति का विश्लेषण करें.

उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर है. 2024 में मेरठ में 60,000, अमरोहा में 61,000, और लखनऊ में जून 2024 तक 4,000 से अधिक लोग रेबीज टीके के लिए अस्पताल पहुंचे, जिनमें 30% बच्चे थे. ये आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं. आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं न केवल जन स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, बल्कि शहरी क्षेत्रों में सामाजिक तनाव का कारण भी बन रही हैं. पशु प्रेमी और स्थानीय निवासियों के बीच फीडिंग को लेकर विवाद आम हो गए हैं, जो कई बार हिंसक रूप ले लेते हैं.

नीति का सकारात्मक पक्ष

योगी सरकार की यह पहल कई मायनों में स्वागत योग्य है. पहला, यह नीति मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण अपनाती है. फीडिंग जोन का विचार बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ कुत्तों को भोजन उपलब्ध कराने का एक व्यवस्थित तरीका है. दूसरा, नसबंदी और टीकाकरण पर जोर देने से आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. तीसरा, विवाद निस्तारण तंत्र से पशु प्रेमियों और निवासियों के बीच तनाव कम होने की उम्मीद है.

चुनौतियां और आलोचनाएं

हालांकि, इस नीति के सामने कई चुनौतियां भी हैं. पहली और सबसे बड़ी चुनौती है इसके कार्यान्वयन की. उत्तर प्रदेश के शहरी निकायों, विशेष रूप से छोटे नगर पालिकाओं और पंचायतों में संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी एक बड़ी बाधा हो सकती है. फीडिंग जोन बनाने, उनकी निगरानी करने और नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त धन और मैनपावर की आवश्यकता होगी. दूसरा, नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों की गति धीमी रही है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में अब तक 2.16 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई है, लेकिन यह संख्या पर्याप्त नहीं है. तीसरा, पशु प्रेमियों और निवासियों के बीच विश्वास की कमी एक बड़ी समस्या है. कुछ एक्स पोस्ट में पशु प्रेमियों ने आशंका जताई है कि फीडिंग जोन का सख्ती से पालन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. इसके अलावा, कुछ आलोचकों का मानना है कि यह नीति सतही हो सकती है और जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं होगी. एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “फीडिंग जोन बनाना अच्छा विचार है, लेकिन अगर इनका प्रबंधन ठीक नहीं हुआ, तो यह केवल दिखावटी कदम बनकर रह जाएगा.”

नई गाइडलाइंस की मुख्य विशेषताएं

योगी सरकार का यह निर्देश पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2023 और सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों पर आधारित है. इसके प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

संरचित फीडिंग जोन: प्रत्येक वार्ड में कुत्तों की संख्या के आधार पर फीडिंग जोन बनाए जाएंगे, जो बच्चों के खेल के मैदानों, स्कूलों, प्रवेश-निकास द्वारों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूर होंगे. भोजन का समय भी ऐसा निर्धारित होगा कि बच्चों और बुजुर्गों की गतिविधियों पर कोई असर न पड़े.

विवाद निस्तारण तंत्र: फीडिंग जोन को लेकर निवासियों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA), और पशु प्रेमियों के बीच होने वाले विवादों के लिए एक समिति गठित होगी. इसमें मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, पुलिस, और अन्य हितधारक शामिल होंगे. समिति का निर्णय अंतिम होगा, और अनसुलझे मामले राज्य बोर्ड को भेजे जाएंगे.

नसबंदी और टीकाकरण: स्थानीय निकायों को नियमित नसबंदी (Animal Birth Control – ABC) और रेबीज टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं. पशु प्रेमियों को इन कार्यक्रमों में सहयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

जागरूकता अभियान: स्थानीय निकायों को जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और फीडिंग जोन पर सूचना बोर्ड लगाने के लिए कहा गया है. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है.

पशु प्रेमियों की जिम्मेदारी: कुत्तों को भोजन देने वालों को केवल निर्धारित जोन में भोजन देना होगा और स्वच्छता का ध्यान रखना होगा. नियमों का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी.

Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाता

Principal Correspondent, Lucknow

Principal Correspondent, Lucknow

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