सहारा चिट फंड फ्रॉड चार्जशीट में किन अफसरों के नाम? ईडी ने किसी को भी नहीं बख्‍शा


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Sahara Chit Fund Scam ED Chargesheet: सहारा ग्रुप के 1.74 लाख करोड़ चिटफंड फ्रॉड में अनिल वैलापरमपिल अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा की केंद्रीय भूमिका रही, दोनों ईडी द्वारा गिरफ्तार हैं, संपत्तियां गुपचुप बेच…और पढ़ें

सहारा चिट फंड फ्रॉड चार्जशीट में किन के नाम? ED ने किसी को भी नहीं बख्‍शाईडी ने सख्‍त एक्‍शन लिया. (File Photo)
नई दिल्‍ली. सहारा ग्रुप से जुड़े 1.74 लाख करोड़ रुपये के चिटफंड फ्रॉड मामले में ईडी ने आज कोलकाता की अदालत में जैसे ही चार्जशीट दाखिल की तो दो नाम काफी चर्चा में आ गए. एक नाम है अनिल वैलापरमपिल अब्राहम तो दूसरा नाम है जितेंद्र प्रसाद (जेपी) वर्मा का. दोनों शख्‍स इस पूरे फ्रॉड के जनक हैं. दोनों ही फिलहाल सलाखों के पीछे हैं. इसी साल ईडी ने दोनों को अरेस्‍ट किया है.

अनिल और जेपी की क्‍या थी भूमिका?
ईडी के मुताबिक अनिल अब्राहम सहारा ग्रुप के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट (CCM) ऑफिस में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहे. यही वो व्‍यक्ति हैं जो टॉप सर्कल में शामिल रहकर बड़े फैसलों और एसेट डील्स करते थे. दूसरी तरफ़ जेपी वर्मा को “लॉन्ग-टाइम एसोसिएट” और प्रॉपर्टी ब्रोकर बताया गया का. ईडी का दावा है कि वो फील्‍ड ऑपरेटर हैं जो सौदों को जमीन पर उतारता था. दोनों को मनी-लॉन्ड्रिंग केस में अरेस्‍ट किया गया है.

दोनों ने गुपचुप बेच डाली सहारा की संपत्तियां
ईडी का आरोप है कि अनिल अब्राहम ने सहारा की संपत्तियों की बिक्री कॉर्डिनेट करवाई और कई सौदों में बड़े पैमाने पर बिना हिसाब नकद घटक शामिल रहे. बाद में यह कैश फ्लो इधर-उधर कर दिया गया. जेपी वर्मा इन सौदों के एग्जिक्‍यूशन में सक्रिय रीस और नकद आय को रूट कराने में मदद की. ईडी का दावा है कि यह वही पैसा है “प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (POC)” का हिस्‍सा है. तलाशी में मिले डिजिटल/दस्तावेजों के आधार पर एजेंसी का ईडी का कहना है कि सहारा समूह की संपत्तिया एक-एक कर गुपचुप बेची जा रही थीं और इस प्रक्रिया में दोनों की केंद्रीय भूमिका थी.

कैसे शुरू हुई ईडी की जांच?
दरअसल, जब लोगों को स्‍क्रीम की समय-सीमा खत्‍म होने पर तय राशि नहीं दी गई तो देश भर में सहारा ग्रुप के खिलाफ सैकड़ों एफआईआरों दर्ज की गई. इन एफआईआर में सहारा-लिंक्ड संस्थाओं पर हाई रिटर्न के लालच में जमाकर्ताओं से पैसा लेने, मेच्योरिटी पर भुगतान टालने/जबरन री-डिपॉज़िट कराने जैसे आरोप गए हैं. जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्डिंग की जांच शुरू की. ईडी का कहना है कि HICCSL, SCCSL, SUMCS, SMCSL, SIRECL, SHICL जैसी इकाइयों के जरिए पॉन्जी ढांचा चलाया गया. बही-खाते फेरबदल कर देनदारियाँ दबाई गई, नई रकम से पुरानी देनदारियां टकी गईं. इसी केस में 2025 में अंबी वैली (707 एकड़) और सहारा प्राइम सिटी (1,023 एकड़) की जमीनें अस्थायी तौर पर ईडी ने अटैच की थी.

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Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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