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आईपीएल सीजन 18 के फाइनल से पहले ही कई बड़े खिलाड़ी अपने करियर को लेकर बहुत कुछ फाइनल करते नजर आए इनमें सबसे बड़ा फैसला ये था कि 33 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यासे ले लिया और कुछ घंटे पहले ये…और पढ़ें
फ्रेंचाइजी क्रिकेट तय कर रही है खिलाड़ियों का फ्यूचर
हाइलाइट्स
- कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोड़ फ्रेंचाइजी लीगों पर ध्यान दे रहे हैं.
- ग्लेन मैक्सवेल और हेनरिक क्लासेन ने हाल ही में संन्यास की घोषणा की.
- फ्रेंचाइजी क्रिकेट का बढ़ता बाजार खिलाड़ियों को आकर्षित कर रहा है.
नई दिल्ली. हाल के वर्षों में, कई प्रमुख क्रिकेट खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर फ्रेंचाइजी लीगों, विशेषकर आईपीएल, पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं, जिनमें व्यक्तिगत प्राथमिकताएं, वित्तीय लाभ, और खेल की बढ़ती व्यावसायिकता शामिल हैं पर सवाल बड़ा ये हा कि क्या क्रिकेट में भी आने वाले समय में क्लब कल्चर हावी होने वाला है. संकेत अब जो मिल रहे है वो काफी डराने वाला है क्योंकि पहले वेस्टइंडीज के खिलाड़ी ही देश के बजाए फ्रेंचाईजी क्रिकेट को तरजीह दे रहे था पर अब इनमे कई और देशों के नाम जुड़ने लगे है.
हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 60% से अधिक प्रमुख खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को छोड़कर केवल घरेलू फ्रेंचाइजी लीगों में खेलने पर विचार कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण लीगों में बेहतर वित्तीय अवसर और कम समय की प्रतिबद्धताएं हैं. इसके परिणामस्वरूप, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की प्राथमिकता में कमी और लीगों की बढ़ती लोकप्रियता देखी जा रही है. जिस उम्र में खिलाड़ी सन्यांस ले रहे है वो खेल में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए बेस्ट माना जाता रहा है.
क्या फ्रेंचाइजी अब तय कर रहे है खिलाड़ी का फ्यूचर?
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि खिलाड़ियों का यह रुझान अब फ्रेंचाइजी क्रिकेट की तरफ ज्यादा है जो खेल की संरचना में बदलाव का संकेत देता है कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है. न्यूजीलैंड के पूर्व बल्लेबाज रॉस टेलर ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की है, और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया है पर सवाल बड़ा ये है कि किसी भी देश के पास अपने स्टार खिलाड़ियों को रोकने के लिए कोई ठोस प्लान नहीं है. खिलाड़ियों को सिर्फ सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट देकर नहीं रोका जा सकता. ग्लेन मैक्सवेल और हेनरिक क्लासेन दोनों ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है, जो क्रिकेट जगत के लिए एक बड़ा आश्चर्य है. हालांकि दोनों के संन्यास के कारण अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही खिलाड़ियों ने अपने करियर के इस मोड़ पर व्यक्तिगत और पेशेवर कारणों का हवाला दिया है.
सिर्फ फ्रेंचाइजी क्रिकेट के लिए देश छोड़ना कितना सहीं
हेनरिक क्लासेन की रिटायरमेंट की खबर से हर कोई सकते में है. दक्षिण अफ्रीका के इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने 33 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया. उन्होंने पारिवारिक समय और बेहतर कार्य-जीवन संतुलन को प्राथमिकता दी है हालांकि वह फ्रेंचाइजी लीगों में खेलते रहेंगे. यानि जो संकेत मिल रहे है कि उनको अगले कुछ सालों के लिए फ्रेंचाइजी क्रिकेट के तमाम अनुबंध हैं. ग्लेन मैक्सवेल ऑस्ट्रेलिया के इस ऑलराउंडर ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लिया, ताकि वह 2026 टी20 विश्व कप पर ध्यान केंद्रित कर सकें और फ्रेंचाइजी लीगों में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकें. एविन लुईस वेस्ट इंडीज के इस बल्लेबाज ने 2024 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया और फ्रेंचाइजी क्रिकेट में सक्रिय रहने का निर्णय लिया. उन्होंने विभिन्न लीगों में खेलते हुए अपनी पहचान बनाई है.
पहले भी मिले है उदाहरण
लसिथ मलिंगा जो सालों साल मुंबई इंडियंस के लिए खेले पर श्रीलंका के इस तेज गेंदबाज ने 2021 में फ्रेंचाइजी क्रिकेट से संन्यास लिया था. एबी डिविलियर्स एक और उदाहरण है .दक्षिण अफ्रीका के इस बल्लेबाज ने 2021 में रिटायरमेंट लिया , लेकिन फ्रेंचाइजी क्रिकेट में सक्रिय रहे. कम उम्र में जिस तरह से तमाम क्रिकेटर इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर हो रहे है उससे एक संकेत तो साफ है कि फ्रंचाइज क्रिकेट का बढञता बाजार और उसकी चमक धमक खिलाड़ियों को बेहतर भविष्य के संकेत दे रही है और तमाम देशों के क्रिकेट बोर्ड कोई प्लान नहीं तैयार कर पा रहे और खास तौर पर आईपाएल के वर्चस्व के सामने नतमस्तक है क्योंकि खि्लाड़ियों के साथ साथ बोर्ड भी उनके पैसे से चलते है तो भला क्यों वो खिलाड़ियों को देश के लिए खेलने का कोई फुलप्रूफ प्लान बनाएंगे.