तारे जमीन पर: आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ में दिखाया गया है कि शिक्षक की सबसे बड़ी ताकत बच्चों के दिल से जुड़ना होती है. फिल्म में दर्शील ने ईशान अवस्थी नामक बच्चे का किरदार निभाया है, जो डिस्प्रेक्सिया नाम की बीमारी से जूझ रहा है, जिसे आमतौर पर स्कूल में समझा नहीं जाता. वहीं, टीचर राम शंकर के किरदार में आमिर खान उसे प्यार और धैर्य के साथ पढ़ाते हैं. वह पहले उसकी कमजोरियों को समझते हैं और फिर उन्हें दूर कर उसकी ताकतों को उभारते हैं. इस फिल्म ने यह संदेश दिया कि टीचर को हर बच्चे की जरूरत, भावना और कठिनाइयों को समझना चाहिए ताकि वे सही दिशा में प्रयास कर सकें.
चॉक एन डस्टर
यह फिल्म टीचर्स के समर्पण और अनुशासन को दर्शाती है. इसमें दो महिला शिक्षकों की कहानी है, जो शिक्षा को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि मिशन मानती हैं. उनकी मेहनत और स्टूडेंट्स के प्रति लगाव दर्शाता है कि एक टीचर का असली रोल कितना अहम होता है. फिल्म हमें सिखाती है कि टीचिंग एक जिम्मेदारी है, जिसके लिए समर्पण और कड़ी मेहनत जरूरी है.
ऋतिक रोशन की ‘सुपर 30’ मशहूर शिक्षक आनंद कुमार की बायोपिक है, जो गरीब और मेधावी छात्रों को आईआईटी की परीक्षा की तैयारी कराते हैं. आनंद कुमार का रोल बच्चों में आत्मविश्वास और उम्मीद जगाता है. वे बच्चों को यह भरोसा दिलाते हैं कि गरीबी या सामाजिक स्थिति कभी भी सपनों के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती. फिल्म ने टीचिंग के एक नए पहलू को दर्शाया है, जिसमें प्रेरणा देना, बच्चों को सपनों के करीब लाना शामिल है. ये फिल्म तो बॉक्स ऑफिस पर छप्पड़फाड़ कमाई करने में सफल भी हुई थी.
हिचकी
इस फिल्म में दिखाया गया है कि हर बच्चा खास होता है, भले ही वे सामान्य शिक्षा प्रणाली में फिट न बैठते हों. ऋतु के किरदार में रानी मुखर्जी खुद एक बीमारी से जूझ रही हैं, लेकिन वे स्पेशल बच्चों को पढ़ाने में विश्वास रखती हैं. उनकी पढ़ाने की तकनीक हर बच्चे की क्षमता को पहचानने और उसे बढ़ावा देने की है. इस फिल्म ने टीचिंग में सहानुभूति और समझदारी की जरूरत पर जोर दिया है. यह फिल्म समझाती है कि हर बच्चे की अलग जरूरत होती है और टीचर को उन्हें उसी हिसाब से पढ़ाना चाहिए.